फिर से बचपन

फिर से बचपन 

four boy playing ball on green grass

माँ की मार पर 
पापा की गोद में 
सुबक - सुबक कर 
रोना चाहता हूँ। 

पापा की डाँट पर 
माँ की आँचल में 
हौले से छुपकर फिर
 मासूम बनना चाहता हूँ। 

एक बार फिर से मैं 
बचपन जीना चाहता हूँ। 

खेल-खेल में यूँ ही 
दोस्तों से लड़ना चाहता हूँ 
लड़-झगड़कर फिर से 
उनके साथ हीं हंसना चाहता हूँ। 

एक बार फिर से मैं 
बचपन जीना चाहता हूँ। 

फिर से गर्मी के दिनों में 
कड़ी धुप में सबकी नजरों से बचकर 
उन आम के पेड़ों के बगीचे में 
लुक्का-छुप्पी खेलना चाहता हूँ। 

एक बार फिर से मैं 
बचपन जीना चाहता हूँ। 

फिर से बारिश के पानी में 
कागज की कश्ती चलाना चाहता हूँ 
उन बारिश की बूंदों में फिर से 
बस यूँ ही भींग जाना चाहता हूँ। 

एक बार फिर से मैं 
बचपन जीना चाहता हूँ। 

© Tukbook

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