पहली मुलाकात


 

पहली मुलाकात 

वो हमारी पहली मुलाकात कुछ अधूरी-सी हुई थी। 
न हीं हम कुछ कह सके न हीं वो बोल पायी थी 
बस देखते हीं रहे एक-दूजे को हम 
मरे शर्म के वो हमसे नजरें भी न मिला पायी थी 

वो हमारी पहली मुलाकात कुछ अधूरी-सी हुई थी। 

बातें तो बहुत करनी थी , लेकिन कर न पाए थे 
न उसकी जुबां से शब्द निकले न मेरे होंठ हिल पाए थे 
न जाने किस लम्हे के इंतज़ार में रुके थे हम दोनों 
बातों का सिलसिला हो शुरू मगर एक भी लफ्ज़ न निकल पायी थी 

वो हमारी पहली मुलाकात कुछ अधूरी-सी हुई थी। 

उसकी चाहत भरी नजरों का दीदार हीं बस कर पाए थे 
जो भी थे गिले-शिकवे वो मन में हीं रह गए थे 
उसकी आँखों की चमक में मेरी नजरें गम हो गई थीं 
वो प्यार से गले लगाने की चाहतें भी अधूरी रह गयी थी 

वो हमारी पहली मुलाकात कुछ अधूरी-सी हुई थी। 

कुछ ख्वाब मेरे भी थे तो कुछ ख्वाब उसके भी थे 
कुछ जज्बात मेरे भी थे तो कुछ जज्बात उसके  भी थे 
कुछ आशाएं और उम्मीदें मेरे भी थे 
कुछ आशाएं और उम्मीदें उसकी भी थी 

लेकिन ये ख्वाब , जज्बात , आशाएं और उम्मीदें पूरी न हो पायी थी 
वो हमारी पहली मुलाकात कुछ अधूरी-सी हुई थी। 
वो हमारी पहली मुलाकात कुछ अधूरी-सी हुई थी। 





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