अपनों से दूर

 Photo by Mantas Hesthaven on Unsplash
अपनों से दूर, अपनों के पास
लिए मन में एक विश्वास
नई उमंगें और कुछ पाने की आस
करने चला आया मैं यहाँ प्रवास ।

बीतते गए घण्टे , कई दिन और मास
पर मैं कर न सका कुछ खास
कीमती है जीवन की हरेक साँस
पर ये जीवन भी आया न रास ।

सबसे जुदा हैं मेरे विचार
इसलिए हुई मेरी ये हार ।

पर अब भी है कुछ करने की चाहत
करूँ कुछ नया तो मिले मुझे राहत ।

चाहता हूँ मैं करना कुछ बड़ा
पर हो न सका अपने
पैरों पर भी खड़ा ।

किसी को है मुझसे उम्मीदें हजार ,
पर अबतक मैं नहीं तैयार ।
© Tukbook

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