लिए मन में एक विश्वास
नई उमंगें और कुछ पाने की आस
करने चला आया मैं यहाँ प्रवास ।
बीतते गए घण्टे , कई दिन और मास
पर मैं कर न सका कुछ खास
कीमती है जीवन की हरेक साँस
पर ये जीवन भी आया न रास ।
सबसे जुदा हैं मेरे विचार
इसलिए हुई मेरी ये हार ।
पर अब भी है कुछ करने की चाहत
करूँ कुछ नया तो मिले मुझे राहत ।
चाहता हूँ मैं करना कुछ बड़ा
पर हो न सका अपने
पैरों पर भी खड़ा ।
किसी को है मुझसे उम्मीदें हजार ,
पर अबतक मैं नहीं तैयार ।
© Tukbook
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