मेरी चाह



चाह नहीं किसी के
बोझ तले दब जाऊं।

चाह नहीं किसी के
कदमों में झुक जाऊं।

चाह नहीं किसी की
नजरों में गिर जाऊं।

चाह नहीं जीवन में
किसी को कष्ट पहुंचाऊं।

चाह नहीं बिना कुछ बेहतर किये
इस दुनिया से चला जाऊं।

चाह नहीं जीवन भर
एक हीं काम करता रह जाऊं।

चाह नहीं लोगों के दिल में
जगह बनाने से चूक जाऊं।

चाह नहीं किसी कीमत पर
अपना ईमान गवाऊं।

चाह नहीं एक ही ढ़र्रे पर
जीवन भर चलता जाऊं।
© Tukbook

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