मैं आज नही नहाऊंगा


ठंड है ये झंड है,
रजाई मुझे पसंद है।
इस ठंड को मैं भगाऊंगा
मैं आज नही नहाऊंगा।

चाहे बदबू हो रजाई में
या खटमल मुझको काटे ।
चाहे मम्मी मुझको डाँटे
लगे पापा के चमाटे  ।
डिओ की पूरी बोतल ,
एक बार मे लगाऊंगा
मैं आज नही नहाऊंगा।

चाहे नल में गर्म पानी आये 
बाढ़ या सुनामी आये ।
रजाई की कश्ती बनाकर,
रजाई में ही छिप जाऊंगा
मैं आज नही नहाऊंगा ।

चाहे ब्रम्हा का मुझको ज्ञान मिले
या भारत रत्न का सम्मान मिले ।
इस ठंड के आगे मैं ,
इनाम सारे ठुकराउँगा
मैं आज नही नहाऊंगा
© Tukbook

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