युद्ध का वो साया था ,
वो जंग लड़ने आया था ।
धनुष-वाण,
कमरबंद में म्यान
पताका जीत का उठाया था
वो तीरंदाज तलवारबाज़,
वो योद्धा सबसे बढ़कर था ।
वो साहसी वो शूरवीर
वो विश्व विजयी मच्छर था।
युद्ध उसकी फितरत थी,
उसको बस लड़ना था।
मेरे मच्छरदानी के किले में,
फतह उसे करना था।
रणभूमि थी जो उसकी ,
वो मेरा बिस्तर था।
वो बलशाली पराक्रमी,
वो विश्व विजयी मच्छर था।
चीख भी न निकली उसकी,
जीवन जब समाप्त हुआ।
मेरे चुटकी में आकर वो,
वीरगति को प्राप्त हुआ।
एक मात्र कतरा रक्त का,
भरा साहस उसमें कूटकर था।
वो बेजोड़ अतुल अद्वितीय,
वो विश्व विजयी मच्छर था ।
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