नींद
अब तो मुझको नींद न आये
चाहकर भी सो न पाए
रातों को मन भगा जाए
नींद भी मेरे पास न आये।
करूँ मैं क्या अब
मुझे कुछ समझ न आये
अपना ये बुरा हाल
अब किसको सुनाये।
कैसी ये बेचैनी है
कैसी ये लाचारी है
जब सारी दुनिया सो रही
मुझको नींद क्यों नहीं आ रही।
कोई ये समझाए मुझको
मुझको कोई ये बताये
जब सारी जनता सो गई
फिर नींद मुझे क्यों न आये।
कोई उपाय तो मुझे सुझाओ
मेरे लिए कोई नींद ले आओ
कबसे मैं सोया नहीं
कोई तो अब मुझे सुलाओ।
रातों को नहीं रोना है
प्यारी नींद नहीं खोना है
होने दो जो होना है
अरे मुझको भी तो सोना है।
© Tukbook
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें
पूरा पढ़ लिया आपने ? हमें बताएं कि यह आपको कैसा लगा ?