समय हो गया है



अँधेरा हुए काफी देर हो गया  था ।
रास्ता सुनसान था , घर जाने के लिए पहले ही 
काफी देर हो चुकी थी , मै तेजी से अपने 
पाँव आगे बढ़ा रहा था।
  भारी भरकम जूतों की खट खट 
आवाज निकालते हुए एक व्यक्ति 
सामने के आते हुए दिखाई दिया।  
चलने के अंदाज से कोई बूढ़ा 
व्यक्ति जान पड़ता था ।
उसके जूतों के खट खट की आवाज 
मै संगीत की तरह सुनते हुए 
आगे बढ़ा जा रहा था।
  वो व्यक्ति मेरे पास पंहुचा 
और बुदबुदाया , "बेटा इतनी रात को 
इस जगह क्या कर रहे हो ? समय हो गया है"।
  मैंने सर उठा कर पूछना चाहा 
की किस चीज का समय हो गया है,
 किन्तु जैसे ही सर उठाया मेरा ध्यान
 उसके चेहरे पर गया।
  उसके चेहरे में नाक और आँख तथा 
भौहें नहीं थी , बस मुँह था , बड़ा मुँह 
और उससे भी बड़े दांत। उसने फिर 
मुझसे मुस्कुरा कर कहा ,"समय हो गया है"।
उसके भयावाह चेहरे और उसके 
मुस्कान को देख कर मैं डर गया 
और अपनी आँखे बंद कर ली। 
फिर से आवाज आई 
"समय हो गया है"।
इस बार आवाज एक व्यक्ति 
की नहीं थी, ऐसा लगा जैसे 
कई लोग एक साथ बोल रहे है।  
मैंने देखने के लिए आँखे खोली 
तो देखा कि मैं घिरा हुआ था
 उसी के भयानक शक्ल के 
कई लोग मेरे चारो तरफ थे।
और सब एक साथ एक सुर में 
बार-बार बोल रहे थे 
"समय हो गया है"।
उसी समय मेरे पीछे से एक 
और आवाज आई फिर से वही वाक्य
"समय हो गया है"।
ये आवाज बाकी आवाजों से 
काफी तेज थी मैंने पीछे मुड़ कर देखा
 तो मेरे पीछे से मुझे घेरे हुए 
सारे लोग गायब हो चुके थे 
फिर मैंने आगे देखा यहाँ भी 
सारे लोग गायब हो चुके थे।
  और वो तेज आवाज और 
तेज हुए जा रही थी और बार -बार 
यही दोहरा रही थी
"समय हो गया है"। 
मेरे दिल की धरकन 
काफी तेज हो चुकी थी हुए 
और अचानक मेरी नींद खुल गयी।
मेरे पापा कमरे में आये हुए थे
और चिल्ला रहे थे उठ जाओ 
टूशन जाने का "समय हो गया है"।
© Tukbook

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