हमसे खफा
आज फिर वो हो गए हमसे खफा
जैसे हुआ करते हैं हर दफा
अरे हमने तो निभाई है हरदम वफा
वो हीं निकले हैं बेवफा।
मेरी तो है बस इतनी सी खता
चाहा करते हैं उनको बेपनाह
करके देखी है हमने कई आजमाइशें
हो न सकी पूरी मेरी ख्वाहिशें।
हम तो किया करते हैं
आज भी उनकी परवाह
वो तो न हो सके मेरे
फिर भी है उनको पाने की चाह।
क्या लाजमी है उनका खफा होना
क्या सिर्फ मेरी हीं किस्मत में है रोना
उनकी मर्जी की दास्तान भी अजीब है
फिर भी हम नहीं चाहते हैं उन्हें खोना।
© Tukbook
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें
पूरा पढ़ लिया आपने ? हमें बताएं कि यह आपको कैसा लगा ?