सावन सूना रह गया
सुनो ........अब तो लौट आओ ना
तुम क्या गए सावन सूना रह गया।
ये झूले जिनपर सारा दिन झुलाया करते थे
इन रस्सियों में ऐठन सी पड़ गई बिन तेरे
ख्वाहिश अब भी है कि तेरे कदम पड़े
तेरे पाजेब की खनक से
फिर बगिया गुलजार हो
पर वापस आने का
वादा तो अधूरा रह गया
सुनो ........अब तो लौट आओ ना
तुम क्या गए सावन सूना रह गया।
वो हरी चूड़ियां वो तेरा कुसुमी दुपट्टा
भींगती बारिश में तेरा छत पर अठखेलियां
जैसे कोई वन में तानपुरा पर नाचता मोर
हमें देख कर इठलाना फिर नजरे चुराना
मिलन ना सही प्यार अधूरा रह गया
सुनो ........अब तो लौट आओ ना
तुम क्या गए सावन सूना रह गया।
बालकनी पे खड़े हो बादलों के साथ मस्ती
हर इक बूंद तेरे लबों को चूमना चाहे
घटाएँ तेरी जुल्फों को देख सिमट जाए
मैं खिड़की से तब तकता रहूँ राहें
मोहब्बत की झलकी को
सारा जर्रा रह गया
सुनो ........अब तो लौट आओ ना
तुम क्या गए सावन सूना रह गया।
घिरे कभी जो बादल याद तुम आते हो
बस मुझको ख्यालों में ही सताते हो
तकदीर में नहीं तसव्वुर में सही
तेरा तबस्सुम से इश्क़ मेरा दुना हो गया
सुनो ........अब तो लौट आओ ना
तुम क्या गए सावन सूना रह गया।
© Tukbook
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