नहीं तो

नहीं तो

two boys standing on road near tree at daytime

तुम्हें  बचपना  याद आ रही 
नहीं तो

क्या छोड़ कर तुम्हे जवान कर गई
हाँ 
तो अब शैतानियां फिर नहीं करना चाहते
 नहीं तो

तुम्हें फिर से वो बच्चा बनना है क्या
  हाँ 
तुम्हें  ही तो जल्दी थी ना बड़े होने की 
नहीं तो

याद है क्या तुम्हे महीना फाग का 
 हाँ 
रंग में डूबना अब क्या बुरा लगता है
 नहीं तो

भरे बैशाख में तेरा वो धमाचौकड़ी
 हाँ 
अब तेरे क्या पाव जलते है
   नहीं तो

भरे बरसात की मस्ती , वो कश्ती कागज की
   हाँ 
अब भी क्या पिटाई का डर लगता है 
       नहीं तो

तुमने तो खो दिया है जिंदगी के हसीन पल
   हाँ 
तो क्या अब भी चमकीली दुनिया में रहना है
     नहीं तो

मोहब्बत के शहर में तुम्हें भी जाना है 
हाँ 
तो अब जिंदगी से खफा हो 
नहीं तो

लौटना चाहते हो क्या वहीं दौर में
हाँ
अब गुरूर नहीं रहा क्या तुममें
नहीं तो

लहजा तो साहेब आलिया का है ये
हाँ
तुमने शब्दों को चुराया है क्या 
नहीं तो

© Tukbook

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