तुम तो ऐसे ना थे
सदियों बाद मिले भी आखिर
पर पलटकर देखा तक नहीं
मेरे महबूब
तुम तो ऐसे ना थे
क्या अब कुछ भी याद ना रहा
साथ के बिताए हुए लम्हे
हर वो पल जिया था हमने
जब इक-दूजे के हुए करते थे
हूँ अब ये जानने को बेचैन
मेरे महबूब
तुम तो ऐसे ना थे
आने का घंटो इंतजार था तब
ख्यालात भी बस तुम्हरा रहा बस
तो लगी किसकी नजर हमारे रिश्ते को
जो अपनी वजूद को तलाशने में है
मेरे महबूब
तुम तो ऐसे ना थे
वो वक़्त जब बस मोहब्बत बरसती रही
जैसे गुलदान के दो फूल हो हम दोनों
ऐसा हुआ क्या जो मुंह फेरने लगे अब
मेरे महबूब
तुम तो ऐसे ना थे
इश्क़ के पन्नों में दर्ज था कहीं अपना भी नाम
लोग मुझे तुम्हारे नाम से बुलाते थे
अब तो ये रैन बसेरा खाली कर दिया तूने
मेरे महबूब
तुम तो ऐसे ना थे
© Tukbook
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें
पूरा पढ़ लिया आपने ? हमें बताएं कि यह आपको कैसा लगा ?