मोहब्बत की झलकी

मोहब्बत की झलकी

Leisure, Conversation, Sadness, Old Age, Old, People

वो मां का सगुन मुझे  चुपके से देना
     वो  हाथो से शक्कर और दही खिलाना
वो बाबूजी की छलकती हुई आंखें
      वो उनके लबों का चुप ही रह जाना।

वो भाई के नई साइकिल के लिए जिद
         वो बहनों का राखी पे फिर से बुलाना
वो छुट्टी के दिनों में की हुई मस्ती 
          वो अन्दर की कशिश को सबसे छिपाना।

वो दोस्तो की टोली से अन्तिम विदाई
          वापसी का उनको दिलासा दिलाना
वो गांव की गलियों का सफर छूटता सा
       वो पीपल की छाव का फिर से बुलाना।

वो उमरी हुई सरसो वो गेहूं की बाली
        लगे जिनसे रिश्ता हो सदियों पुराना
वो सावन का मौसम वो मिट्टी की खुशबू
    वो गांव के मेले में जलेबी का खाना।

 वो मामा के गांव की भूली सी यादें 
     वो नानी का परियो की किस्से सुनाना
 वो साइकिल का पहिया , भरी दोपहरी
   मोहल्ले के दिन भर फिर चक्कर लगाना।

अरे कहां खो गए, यूं उलझे पड़े हो
    बदल तो दिया तूने अपना ठिकाना
अभी तो शुरू हुई है यादों की बारिश
    अभी तू ठहर जा अभी तो ना जाना।

ना जाने का मन हो ना लौटा ही जाए
       वो तब भी निकलना कर के बहाना।।

© Tukbook

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