एक टूटी हुई आस की फरियाद

 


“एक टूटी हुई आस की फ़रियाद हैं हम ।

और दुनिया समझती है की आजाद हैं हम, 


नेताओं की बातों में आ जाते हैं, 

और खुद को बोलते हैं समझदार हैं हम,


चन्द पैसों के लिए बेच देते हैं 

अपना कीमती वोट, 

और बोलते हैं सरकार गलत, 

और सही हैं हम,


अब तो निक्कमे लोग राजनिति मे हैं

और लोग बोलते हैं 

पार्टी हमारी और सरकार हैं हम,


हमको इस दौर की तारीख ने

 दिया क्या ‘एज़ाज़'

कल भी बर्बाद थे आज भी बर्बाद हैं हम ।

© Tukbook

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